OSI Model क्या है? OSI model की सातों लेयर के बारे में जानिए हिंदी में- Deepak Solutions

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दोस्तों आज हम बात करेंगे OSI model के बारे में हम जानेंगे कि OSI model क्या है यह कहां काम आता है तथा इसकी सातों परतों का अलग-अलग क्या काम है।

OSI Model in Hindi

दोस्तों ओ एस आई मॉडल की फुल फॉर्म ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (open system interconnection) है,
इसे सन 1978 से 1984 के बीच ISO ने बनाया था ISO की फुल फॉर्म इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशंस फॉर स्टैंडर्डाइजेशन है।

OSI Model को डाटा के प्रवाह को समझने के लिए बनाया गया था OSI Model के द्वारा आप समझ सकते हैं कि डाटा कैसे एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क के बीच आता तथा जाता है, डाटा के प्रवाह के दौरान डाटा के बीच क्या-क्या प्रोसेसिंग होती है इसे समझने के लिए हमें डाटा की सातों परतो को समझना होगा,

दोस्तों इन सातों परतों में डाटा की प्रोसेसिंग अलग-अलग रूप में होती है यानी कि हर एक परत में डाटा अलग-अलग रूप में होता है जब एक परत का काम समाप्त हो जाता है तो तो डाटा अगले परत को ट्रांसफर कर दिया जाता है इसी प्रकार डाटा भेजने और प्राप्त करने के वक्त सातों परतों का काम होता है।

दोस्तों यह परतें दोनों तरफ होती है सेंडर की तरफ भी और रिसीवर की तरफ भी और यह परत डिसेंडिंग आर्डर में होती है
यानी कि पहले लेयर सबसे आखरी में आती है और आखिरी लेयर सबसे पहले आती है,

तो आइए दोस्तों शुरू करते हैं और जानते हैं कि OSI MODEL IN HINDI क्या है, OSI MODEL EXPLAIN IN HINDI

Layers of OSI Model in Hindi

दोस्तों जैसे कि आप जानते ही हैं कि OSI Model मैं 7 परतें होती है, इन सातों की अलग-अलग अपनी अपनी कार्यप्रणाली होती है,
यहां हम विस्तृत रूप से इन सातों की कार्यप्रणाली के बारे में जानेंगे।

OSI Model in Hindi

 

Physical layer

 
OSI Model की पहली परत फिजिकल परत होती है इसका कार्य प्राप्त डाटा को बिट में कन्वर्ट करना होता है,
इस परत के द्वारा डाटा भौतिक माध्यमों से ट्रांसफर किया जाता है जैसे कि केबल द्वारा यह ओ एस आई मॉडल की एक मात्र ऐसी परत है जो पूर्ण रूप से फिजिकली कनेक्शन establish करती है, भौतिक परत के डिवाइस में NIC CARD और  different cables होती हैं।
 
भौतिक परत की कार्य नीचे दिए गए हैं,
 
Data rate – यह परत डाटा का रेट निर्धारित करती है जैसे कि एक सेकंड में कितने bits ट्रांसफर करना है।
 
synchronisation- यह परत सेंडर और रिसीवर को बिट स्तर पर सिंक्रोनाइज करती है,

signal- यह लेयर बिट्स को सिग्नल में कन्वर्ट करके भेजती है।
data link layer ओ एस आई मॉडल की दूसरी परत है, यह नेटवर्क और भौतिक परत के बीच डाटा को स्थानांतरित करता है,
डेटा लिंक परत पर डाटा यूनिट्स को फ्रेम्स कहा जाता है,
सेंडर की ओर से यह नेटवर्क से डाटा प्राप्त करता है तथा डाटा में हेडर और ट्रेलर को जोड़ता है, और डेटा को भौतिक परत के पास भेज देता है,
रिसीवर की ओर से यह भौतिक परत से डाटा लेता है तथा उसमें से  हेडर और ट्रेलर को हटा देता है तथा डाटा को नेटवर्क के पास भेज देता है,
data link layer नेटवर्क के अंदर डाटा को ट्रांसपोर्ट करने मैं रिस्पांसिबल होता है, डाटा लिंक लेयर की दो सब लेयर होती है जो नीचे दी गई है,
logical link control
LLC sub layer physical layer और बाकी की ऊपर की परतों के बीच लिंक एस्टेब्लिश करता है,
media access control
 MAC sub layer physical medium के एक्सेस को कंट्रोल करती हैं,

Network layer

OSI Model  में नेटवर्क लेयर तीसरे नंबर पर आती है इस परत पर डाटा यूनिट पैकेट्स के रूप में जाता है, यह परत राउटिंग और लॉजिकल एड्रेसिंग के लिए जिम्मेदार है, नेटवर्क परत पर आईपी यूज किया जाता है,
Routing
डाटा को एक लेयर से दूसरी लेयर में भेजने की जिम्मेवारी भी नेटवर्क लेयर के पास होती है,
Logical addressing
नेटवर्क लेयर डाटा को नेटवर्क में यात्रा करने के लिए आईपी ऐड्रेस देती है यह आईपी ऐड्रेस डाटा को मंजिल तक पहुंचाने में जिम्मेवार होता है।

Transport layer

transport layer OSI model की चौथी परत होती है, यह परत डाटा के भरोसेमंद ट्रांसफर के लिए जिम्मेदार होती है, यह इसकी जिम्मेदारी है कि डाटा अपने निश्चित क्रम में और बिना किसी परेशानी के अपनी मंजिल तक पहुंचे,
ट्रांसपोर्ट लेयर दो तरह से कार्य करती है पहली कनेक्शन लेस
कम्युनिकेशन तथा दूसरी कनेक्शन ओरिएंटेड होती है,
connectionless communication के लिए UDP तथा कनेक्शन ओरिएंटेड के लिए TCP/IP का प्रयोग किया जाता है,
कनेक्शन लेस कम्युनिकेशन फास्ट होता है लेकिन यह डाटा का error फ्री पहुंचना तथा रिट्रांसमिशन की जिम्मेवारी नहीं लेता,
connection oriented communication डाटा के सही तरीके से बिना किसी खराबी के पहुंचने और रिट्रांसमिशन की जिम्मेवारी लेता है, यह communication कुछ services प्रोवाइड करता है, जो निम्नलिखित है।
Segmentations
 – Data को भेजने से पहले छोटे-छोटे segments में convert करता है,

Sequencing
-हर सेगमेंट को एक सीक्वेंस नंबर दिया जाता है,

Connection establishment
-डाटा को भेजने और प्राप्त करने से पहले दोनों डिवाइस में कनेक्शन किया जाता है

Retransmission
-जब कोई सिग्मेंट नहीं पहुंचता तो उसके बारे में बताया जाता है कि इस नंबर का सेगमेंट नहीं पहुंचा तो फिर ट्रांसपोर्ट लेयर के द्वारा उस नंबर के सिग्मेंट को रिट्रांसमिशन के द्वारा दोबारा भेजा जाता है

Flow control
-इसमें डाटा के ट्रांसफर रेट को निर्धारित किया जाता है, अगर इसका निर्धारण सही तरीके से नहीं होता तो डाटा का flow स्टार्ट हो जाता है जैसे कि हम मान लेते हैं की एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस पर 10 एमबीपीएस की स्पीड से डाटा भेज रहा है तथा दूसरा डिवाइस से 2 एमबीपीएस की स्पीड से डाटा रिसीव कर रहा है तोहर सेकंड के हिसाब से 8MB डाटा फ्लो हो जाएगा और इसी फ्लो को कंट्रोल किया जाता है कि TCP/IP के द्वारा

Session layer

session layer OSI model की पांचवी परत है, यह परत सेंडर और रिसीवर के बीच session establish करती है, यह उस सेशन को तब तक संभालती है जब तक की डाटा पूर्णतया अपनी मंजिल तक ना पहुंच जाए, और डाटा पूर्णतया ट्रांसफर होने के बाद उस सेशन को terminate कर दिया जाता है, यानी कि इसके मुख्यतः सिर्फ तीन काम होते हैं, यह सेशन इस्टैबलिश्ड करती है उसे मेंटेन करती है तथा आखिर में टर्मिनेट कर दिया जाता है,

Presentation Layer

presentation layer OSI model की छठी परत होती है,
यह लेयर डाटा के presentation के लिए जिम्मेवार होती है,
यह लेयर यह निश्चित करती है कि जो data जिस फॉर्मेट में सेंटर भेज रहा है वह फॉर्मेट रिसीवर के समझ में आए इसीलिए सभी रिसीवर और सेंडर कुछ डाटा स्टैंडर्ड्स को फॉलो करते हैं यह डाटा स्टैंडर्ड्स निम्नलिखित है,
°text- .Txt,RTF
°image- .PNG , .JPEG
°movie- Mp4, .Avi , .mpeg
°audio- MP3, .wav
यह कुछ कॉमन स्टैंडर्ड्स है जिन्हें लगभग सभी फॉलो करते हैं इन्हें फोलो करने का अर्थ यह है कि अगर सेंडर कोई इमेज . JPEG फॉर्मेट में भेज रहा है तो रिसीवर के पास यह फॉर्मेट हो और वह उस फॉर्मेट को समझ सकता हो,
presentation layer के बाद डाटा सीधा एप्लीकेशन लेयर में जाता है जो यूजर को शो होता है इसलिए यह सारी जिम्मेवारी presentation layer की होती है की यूजर को डाटा कैसे प्रजेंट हो,
अगर सेंडर और रिसीवर एक ही फॉर्मेट को सपोर्ट नहीं करते तो प्रेजेंटेशन लेयर conversion और translate की सर्विस भी प्रोवाइड करता है, presentations layer के कुछ फंक्शंस नीचे दिए गए हैं,
°raw data को ट्रांसलेट करती है
°उसे encrypt करती है
°और उस डाटा को कंप्रेस करती है।

Application layer

application layer यूजर की एप्लीकेशन और नेटवर्क के बीच इंटरफ़ेस प्रोवाइड करती है, जैसे कि एक वेब ब्राउज़र या कोई ईमेल क्लायंट
email और Outlook जैसी सभी एप्लीकेशंस एक नेटवर्क पर काम करने के लिए इंटरफेस प्रोवाइड करती है, यूजर की एप्लीकेशन  एप्लीकेशन लेयर में नहीं होती है, बल्कि प्रोटोकॉल होता  है जो यूजर के ऑपरेशंस को कंट्रोल करता हैं,
यूजर एप्लीकेशन से इंटरेस्ट करता है और एप्लीकेशन नेटवर्क से इंटरेस्ट करती है, उदाहरण के लिए कोई वेब एड्रेस ओपन करना,
एप्लीकेशन लेयर पर बहुत सारे प्रोटोकॉल्स उपयोग में लिए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं
°HTTP ( hyper text transfer protocol )
°FTP    (file transfer protocol )
°POP 3 (post office protocol )
°SMTP (simple mail transfer protocol )
°Telnet
यह सभी प्रोटोकॉल्स नेटवर्क से इंटरेस्ट करने के लिए यूज किए जाते हैं, एप्लीकेशन लेयर कुछ टास्क परफॉर्म करती है जो नीचे दिए गए हैं,
1.
कम्युनिकेट करने वाले पार्टनर को एप्लीकेशन लेयर पहचानती है।
2.
कम्युनिकेशन को सिंक्रोनाइज करना।
3.
Basic email service provider करना
4.
डाटा को ट्रैक करते रहना।

Classification of OSI model in Hindi (OSI Model का वर्गीकरण)

दोस्तों अगर osi model के वर्गीकरण की बात आती है तो हम इसे 3 मुख्य भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं, जो निम्नलिखित है।

The upper layer’s of OSI model


1. Application layer
2. Presentation layer
3. Session layer

The Middle layer’s of OSI Model


1. Transport layer

The Lower layer’s of OSI Model


1. Network layer
2. Data link layer
3. Physical layer

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