नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का एक नए आर्टिकल में, अगर आप भी यह जानना चाहते है कि Martin Luther kaun tha? तो यह आर्टिकल आप सभी के लिए बहुत ही खास रहने वाला है, क्योंकि आज हम जानेंगे कि मार्टिन लूथर कौन था?
आज के इस आर्टिकल के जरिए हम आपको मार्टिन लूथर कौन था और उसके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों, विशेषताओं आदि के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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आइए दोस्तों बिना किसी देरी के आर्टिकल को शुरू करते हैं।
मार्टिन लूथर कौन था?
मार्टिन लूथर ईसाई धर्म के प्रोटेस्टेंटवाद के जनक के रूप में जाने जाते हैं, मार्टिन लूथर सहायक आचार्य इतिहास राजकीय महाविद्यालय में प्राध्यापक, पादरी एवं चर्च सुधारक थे।
मार्टिन लूथर के विचारों के द्वारा प्रोटेस्टिज्म सुधारान्दोलन आरंभ हुआ, इस आंदोलन ने पश्चिम यूरोप के विकास की दिशा को बदल दिया। मार्टिन लूथर अफ्रीका और अमेरिका के लिए लड़ने वाले प्रमुख नेता में से एक थी, इसी कारण इन्हें अमेरिका का गांधी कहा जाता है।
मार्टिन लूथर के अनेक प्रयत्नों के कारण अमेरिका के आम नागरिक के अधिकारों के क्षेत्र में उन्नति हुई। इसलिए इन्हें आज आम नागरिक के अधिकारों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
मार्टिन लूथर का जीवन-परिचय
मार्टिन लूथर का जन्म जर्मनी के एक किसान परिवार में 1483 में हुआ। उनके पिता का नाम हैंस लूथर था, जो खान में काम करते थे। 18 वर्ष की आयु में मार्टिन लूथर एरफुर्ट के विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और सन् 1505 में उन्हें एरफुर्ट के विश्वविद्यालय से एम०ए० की उपाधि प्राप्त की।
मार्टिन लूथर अपने पिता की इच्छा अनुसार कानून का ध्यान करने लगे परंतु उनके जीवन में एक भयंकर तूफान आ गया, उन्होंने अपने जीवन को जोखिम में समझकर सन्यास लेने की मन्नत की।
मार्टिन लूथर को विटृॆनबर्ग विश्वविद्यालय भेजा गया, जहां पर मार्टिन लूथर को धर्मविज्ञान में डायरेक्टर की उपाधि मिली। मार्टिन लूथर उसी विश्वविद्यालय में बाइबल के प्रोफेसर बने और साथ ही अपने संघ के प्रांतीय अधिकारी पद के रूप में नियुक्त हुए।
मार्टिन लूथर का धर्म सुधार आंदोलन में योगदान
मार्टिन लूथर का धर्म सुधार आंदोलन में प्रमुख स्थान रहा है, मार्टिन लूथर ने धर्म सुधार आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर व्यक्तियों एक नई दिशा की और उग्रसर किया है।
1# मार्टिन लूथर एक धर्म सुधारक के रूप में
मार्टिन लूथर धर्म सुधारक था, उसकी रूचि महजबी शास्त्रों के अध्ययन में थी इसलिए वह आगस्टीन पंथ में शामिल हो गया। मार्टिन लूथर को यह विश्वास हो गया कि मुक्ति का मार्ग कर्म, संस्कार और कर्मकांड नहीं बल्कि ईश्वर में सरल आस्था है।
मार्टिन लूथर विटेनवर्ग में धर्मशास्त्र का प्रोफ़ेसर बना और 1511 में रोम गया, जहां रोम के वैभवशाली अतीत, निरंकुश और स्वेच्छाचारी जीवन शैली को देखकर मार्टिन लूथर निराश हुआ।
2# पाप मोचन पत्रो का विरोध
पाॅप लियो दशम जिसे रोम में संत पीटर का गिरजाघर बनाने के लिए धन की आवश्यकता थी, धन एकत्रित करने के लिए उसने पाप मोचन पत्र को बेचना शुरू किया।1517 ई. में टेट जल नामक पाॅप का एक अर्जेंट जर्मनी के विटेनवर्ग पहुंचा।
वहां उसने पाप मोचन पत्र की बिक्री शुरू कर दी। उसने घोषित किया कि जो भी व्यक्ति इन पाप मोचन पत्र को खरीदेगा, उनको पापों से मुक्ति मिल जाएगी। मार्टिन लूथर ने इनका मोचन पुत्र की कठोर आलोचना की। उसने कहा कि पाप पश्चाताप से नष्ट होता है।
पश्चाताप मन का विषय चर्च के आडंबर से उसका कोई संबंध नहीं है। मार्टिन लूथर ने 31 अक्टूबर 1517 को ब्रिटेन वर्ग के चर्च के द्वार पर क्षमा पत्रों के विरोध में 95 निबंध लिखकर लगा दिए। इस प्रकार मार्टिन लूथर ने पाॅप के विरुद्ध धर्म आंदोलन शुरू कर दिया।
3# मार्टिन लूथर को ईसाई धर्म निष्कासित करना
मार्टिन लूथर ने पॉप के पाखंडों की कटु आंदोलन की और अपने मत के प्रतिपादन के लिए तीन पुस्तकों की रचना की। 1520 ईस्वी मार्टिन लूथर ने अपनी प्रथम पुस्तक “एन ओपन लेटर टू द क्रिश्चन स्टेट” मे राज्य और चर्च के विषय में व्याख्या कीजिए।
मार्टिन लूथर ने जर्मनी की जनता को पाॅप से संबंध विच्छेद करने के लिए कहा। उसने राष्ट्रीय चर्च की स्थापना पर बल दिया।
मार्टिन लूथर के कार्यों से पाॅपलियो दशम अत्यधिक क्रोधित हुआ। और 1520 ईस्वी में उसने मार्टिन लूथर को ईसाई धर्म से बहिष्कार कर दिया। इस प्रकार मार्टिन लूथर और पाॅप के बीच संघर्ष और भी तीव्र हो गया।
4# मार्टिन लूथर और चार्ल्स पंचम
पवित्र रोमन सम्राट चार्ल्स पंचम कैथोलिक चर्च और पाॅप का कट्टर समर्थक था, उसने 1521 ईसवी में मार्टिन लूथर के संबंध में व्वामस नामक नगर में धर्म सभा बुलाई। इस सभा में मार्टिन लूथर को धर्म विरोधी विचार त्यागने की चेतावनी दी। मार्टिन लूथर ने ऐसा करने से मना कर दिया।
इस पर चार्ल्स पंचम ने मार्टिन लूथर को नास्तिक व साम्राज्य की सुरक्षा से वंचित कर दिया। मार्टिन लूथर के समस्त रचनाओं को जलाने का आदेश दिया गया। इस अवसर पर सेक्सनी के शासक फ्रेडरिक ने मार्टिन लूथर को वर्टबर्ग के किले में शरण दी, यहीं रहते हुए मार्टिन लूथर ने बाइबिल का जर्मन भाषा में अनुवाद किया।
5# जर्मनी में लूथरवाद का प्रसार
1529 ईसवी में पवित्र रोमन सम्राट चार्ल्स पंचम ने दूसरी सभा बुलाई। इसमें पाॅप के समर्थकों ने मार्टिन लूथर की आलोचना की और सम्राट से मार्टिन लूथर का दमन करने का अनुरोध किया, लेकिन मार्टिन लूथर के समर्थकों ने इसका प्रतिवाद किया।
इसलिए मार्टिन लूथर के समर्थक प्रोटेस्टेंट के नाम से प्रसिद्ध हुए। इसी प्रकार लूथर वादी आंदोलन का नाम प्रोटेस्टेंट आंदोलन पड़ा। इस प्रकार तत्कालीन सामाजिक एवं राजनीतिक अशांति के कारण मार्टिन लूथर के विचार खूब लोक प्रचलित हुई। उनके विचारों ने एक लोकप्रिय धर्म सुधार आंदोलन का रूप धारण कर लिया।
FAQs:-
मार्टिन लूथर कौन था?
मार्टिन लूथर ईसाई धर्म के प्रोटेस्टेंट वाद के जनक के रूप में जाने जाते हैं। मार्टिन लूथर अमेरिका और अफ्रीका के लड़ने वाले प्रमुख नेता में से एक थे इसीलिए इन्हें अमेरिका का गांधी कहा जाता है।
मार्टिन लूथर को आज आम जनता के अधिकारों के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
मार्टिन लूथर का जन्म कब और कहां हुआ था?
मार्टिन लूथर का जन्म 10 नवंबर 1483 को जर्मनी में हुआ था, और वह एक किसान परिवार से था। मार्टिन लूथर ने अमेरिका में चल रहे, नीग्रो समुदाय के प्रति भेदभाव के विरूद्ध आंदोलन का संचालन किया।
Conclusion:-
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जय हिंद, जय भारत।